عقائد و ایمانیات >> قرآن کریم
سوال نمبر: 174275
جواب نمبر: 174275
بسم الله الرحمن الرحيم
Fatwa ID: 221-87T/SN=04/1441
आयत का आख़री हिस्सा शुरू हिस्से की ग़ायत है यानी आयत में जो क़त्ल वगैरा का हुक्म दिया गया है यह हुक्म उस वक़्त तक जारी रहेगा जब तक उनकी तरफ से तौबा वगैरा ना पाई जाए, अगर वह तौबा कर लेते हैं और नमाज़ पढ़ने लगते हैं तो फिर यह हुक्म उनके हक़ में बाक़ी ना रहेगा;जैसे कोई बादशाह यह हुक्म सादिर करे कि बाग़ियों को जहाँ पाओ क़त्ल करो;हाँ अगर कोई हथियार डाल दे तो फिर उसे छोड़ दो, ज़ाहिर है कि इस कलाम के शुरू और अख़ीर में कोई तआरुज़ (टकराव) नहीं है, यह एक मुहावरा है। वाज़ेह रहे कि यह आयतें उन कुफ्फार व मुश्रिकीन के हक़ में नाज़िल हुई हैं, जिन्होंने मुसलमानों के साथ मुआहिदा करने के बाद मुआहिदा तोड़ा था;लिहाज़ा मुआहिद या मुस्तामिन कुफ्फार व मुश्रिकीन को इस पर क़्यास न किया जाए।
आयत की मज़ीद तफसील के लिये मुआरिफुल क़रआन (4/304, प्रकाशित:कराची) से मुतल्लिक़ा आयत की तफसीर देख लें, इंशाअल्लाह मुकम्मल तशफ्फी हो जाएगी।
واللہ تعالیٰ اعلم
دارالافتاء،
دارالعلوم دیوبند