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    سوال نمبر: 174753

    عنوان: सफर की क़ज़ा नमाज़ में इतमाम करले (पूरी पढ़ले),तो क्या हुक्म है

    سوال: मैं रामपुर मनिहारान से दिल्ली की नीयत कर के चला और एक दिन में 30 किलोमीटर दूर जा के रुका। और इस दरमियान मेरी जोहर की जमात छूट गयी मैंने अपनी अलग से पूरी नमाज़ पढ़ ली। क्या अब उस नमाज़ को दोबारा अदा करनी पड़ेगी।

    جواب نمبر: 174753

    بسم الله الرحمن الرحيم

    Fatwa ID: 368-97T/SN=04/1441

     

    सफर की क़ज़ा नमाज़ में इतमाम करले (पूरी पढ़ले),तो क्या हुक्म है

     

    अगर अपनी आबादी से निकलने के बाद भी ज़ुहर का वक़्त बाक़ी था तो पूछे गए सवाल के अनुसार नमाज़े ज़ुहर की क़ज़ा करते वक़्त आप पर क़स्र करना ज़रूरी था;क्योंकि हालते सफर की छूटी नामज़ों की क़ज़ा में भी क़स्र ज़रूरी होती है, इतमाम (पूरी पढ़ना) मकरूहे तह़रीमी है, बहरह़ाल आपका फ़रीज़ा कराहत के साथ अदा हो गया, अब लौटाना वाजिब नहीं है;अलबत्ता लौटा लेना मुस्तहब है;क्योंकि जो नमाज़ कराहते तह़रीमी के साथ अदा हो,वक़्त के अंदर उसका लौटाना वाजिब होता है, वक़्त के बाद मुस्तहब।

     

    (والقضاء يحكي) أي يشابه (الأداء سفرا وحضرا) لأنه بعدما تقرر لا يتغير غير أن المريض يقضي فائتة الصحة في مرضه بما قدر...(قوله سفرا وحضرا) أي فلو فاتته صلاة السفر وقضاها في الحضر يقضيها مقصورة كما لو أداها  إلخ [الدر المختار وحاشية ابن عابدين (رد المحتار) ‏، باب صلاة المسافر‏، 2/ 218‏، ط: زكريا‏، ديوبند]

    (قوله فلو أتم وقعد في الثانية صح وإلا لا) أي، وإن لم يقعد على رأس الركعتين لم يصح فرضه؛ لأنه إذا قعد فقد تم فرضه وصارت الأخريات له نفلا كالفجر وصار آثما لتأخير السلام إلخ [البحر الرائق 2/ 230‏، باب صلاة المسافر‏، ط: زكريا‏، ديوبند]

    ...وقد قدمنا أن الإعادة فعل مثله في وقته لخلل غيرالفساد وعدم صحة الشروع‏، وظاهره أن بخروج الوقت لا إعادة ويتمكن الخلل فيها مع أن قولهم كل صلاة أديت مع الكراهة فسبيلها الإعادة وجوبا مطلق وفي القنية مايفيد التقييد بالوقت فإنه قال إذا لم يتم ركوعه ولاسجوده يؤمر بالإعادة في الوقت لا بعده ثم رقم رقما آخر أن الإعادة أولى في الحالتين اهـ.فعلى القولين لا وجوب بعد الوقت فالحاصل أن من ترك واجبا من واجباتها أو ارتكب مكروها تحريميا لزمه وجوبا أن يعيد في الوقت فإن خرج الوقت بلا إعادة أثم ولا يجب جبر النقصان بعد الوقت فلو فعل فهو أفضل.(البحرالرائق شرح كنـزالدقائق 2/ 142‏،ط: زكريا) 


    واللہ تعالیٰ اعلم


    دارالافتاء،
    دارالعلوم دیوبند