عبادات >> صلاة (نماز)
سوال نمبر: 17079
अस्सलामु अलैकुम वा रहमातुल्लाहि
वबाराकातुहू क्या फरमाते है उलेमा ए दीन मसअला ज़ील के बारे मे (1)
अगर किसी वजाह से कोई फर्ज नमाज कज़ा हो जाये ओर उसको अदा करने का वक्त ना मिल सके ओर
दूसरी फर्ज नमाज का वक्त आ जाये या
जमाअत ख़डी हो जाऐ तो हमको पहले कौन सी नमाज अदा करनी है जबकि मै मुस्तकिल नमाज पढ़ता हूँ। (2) मेरे साथ दो या पाँच आदमी है, नमाज का टाईम हो जाता है मगर कोई भी सख्स जमाअत कराने के लिए
तैयार नही होता जबकि मै बहुत गुनाहगार
हूँ। क्या इस हालत मै जमाअत करा सकता हुँ?
क्या इस हालत मे जमाअत का होना
जरुरी है? (3') सफर मे काबा का
रुख चाँद तारोँ व सूरज से कैसे मालूम किया जाता है ? कुतुब तारा क्या है ?
यह आसमान मे कहाँ दिख़ाई देता है। उसकि क्या पहचान है?
(4)अगर कोई मदारिस क सफीर चंदा लेने के लिए आये और हमने जकात फितरा या सदका की रशीद कटा ली हमने बाद मे तहकीक
कि तो पता चला कि उस पैसे को सफीर ने
मदरसा की इजाजत के बाद बगेर तम्लिक केअपनी नोकरी मे काट लिया तो क्या उसके लिए ऐसा करना जायज है हमारा पैसा
अदा हो गया या नही (मोहसिन अहमद,) जसोई
मु. नगर
अस्सलामु अलैकुम वा रहमातुल्लाहि
वबाराकातुहू क्या फरमाते है उलेमा ए दीन मसअला ज़ील के बारे मे (1)
अगर किसी वजाह से कोई फर्ज नमाज कज़ा हो जाये ओर उसको अदा करने का वक्त ना मिल सके ओर
दूसरी फर्ज नमाज का वक्त आ जाये या
जमाअत ख़डी हो जाऐ तो हमको पहले कौन सी नमाज अदा करनी है जबकि मै मुस्तकिल नमाज पढ़ता हूँ। (2) मेरे साथ दो या पाँच आदमी है, नमाज का टाईम हो जाता है मगर कोई भी सख्स जमाअत कराने के लिए
तैयार नही होता जबकि मै बहुत गुनाहगार
हूँ। क्या इस हालत मै जमाअत करा सकता हुँ?
क्या इस हालत मे जमाअत का होना
जरुरी है? (3') सफर मे काबा का
रुख चाँद तारोँ व सूरज से कैसे मालूम किया जाता है ? कुतुब तारा क्या है ?
यह आसमान मे कहाँ दिख़ाई देता है। उसकि क्या पहचान है?
(4)अगर कोई मदारिस क सफीर चंदा लेने के लिए आये और हमने जकात फितरा या सदका की रशीद कटा ली हमने बाद मे तहकीक
कि तो पता चला कि उस पैसे को सफीर ने
मदरसा की इजाजत के बाद बगेर तम्लिक केअपनी नोकरी मे काट लिया तो क्या उसके लिए ऐसा करना जायज है हमारा पैसा
अदा हो गया या नही (मोहसिन अहमद,) जसोई
मु. नगर
جواب نمبر: 17079
بسم الله الرحمن الرحيم
فتوی(ھ):2161=1732-11/1430
(۱) اگر آپ صاحب ترتیب ہیں، یعنی بالغ ہونے کے وقت سے کوئی نماز آپ کی نہیں چھوٹی اور اگر چھوٹی تھی تو ادا کرلی تھی، ایسی صورت میں خواہ جماعت کھڑی ہوگئی، مگر آپ پہلے وہ قضاء نماز پڑھیں، کہ جس کو نہیں پڑھ سکے،اگر اس کو پڑھ کر جماعت میں شامل ہوسکیں تو ہوجائیں ورنہ وقتیہ نماز کو تنہا پڑھیں۔
(۲) آپ حاضرین (دو یا پانچ یا کم وبیش افراد) میں اگر سب سے زیادہ گناہ گار ہوں تو جو ظاہراً آپ سے کم گناہ گار ہو اس کو امامت کے لیے بڑھادیں، اگر دیگر افراد کے مقابلہ میں ظاہری دین داری آپ میں زیادہ ہو تو آپ پڑھادیا کریں، حتی المقدرت جماعت ترک نہ کیا کریں۔
(۳) اگر یہ سفر ہندوستان یا پاکستان بنگلہ دیش میں ہو تو صرف اتنی تحقیق کرلیا کریں کہ مشرق، مغرب سمت کس جانب ہے، بس مشرق کی طرف پشت اورمغرب کی سمت کی طرف چہرہ کرکے نماز اداء کرلیا کریں، نماز ہوجائے گی، قطب تارہ کی پہچان اور اس کے ذریعہ جہتِ کعبةاللہ کی تعیین کے اصول وضوابط اور دیگر طرق علم ہیئت جاننے پر موقوف ہیں،معلوم نہیں آپ کو اس میں کچھ درک ہے یا نہیں، جواہر الفقہ جلد اول (اردو) میں اس مسئلہ کو بہت مدلل مفصل لکھا ہے، اس کو بغور مطالعہ کرلیں۔
(۴) اگر آپ کو شرعی ثبوت سے معلوم ہوگیا کہ سفیر نے مدرسہ میں داخل کرنے کے بجائے آپ کے صدقاتِ واجبہ یا ان کی قیمت میں ایسا کرلیا تو آپ کی زکاة وغیرہ ادا نہ ہوئی، اور سفیر کو ایسا کرنا ناجائزوگناہ ہے، آپ کو حق ہے کہ سفیر کو ضامن قرار دے کر اپنی رقم واپس لے کر مستحقینِ زکاة کو اداء کردیں جب آپ مستحقین کو دے کر مالک وقابض بنادیں گے تو آپ کی زکاة اور فطرہ وغیرہ ادا ہوجائیں گے۔
واللہ تعالیٰ اعلم
دارالافتاء،
دارالعلوم دیوبند