Social Matters >> Women's Issues
Question ID: 400190Country: India
Answer ID: 400190Posted on: 02-Feb-2021
Fatwa ID: 473-395/L=06/1442
(1) फजर की नमाज़ के बाद भी जिमा कर सकते हैं; अलबत्ता चूंकि वो वक़्त खुसीसियत के साथ ज़िक्र व तिलावत का वक़्त है इस लिए फजर की नमाज़ के बाद इश्राक़ के वक़्त तक बेहतर है कि आदमी ज़िक्र वगैरह में मश्गूल रहे, अगर जिमा करना है तो इश्राक़ की नामाज़ से फारिग़ होने के बाद करे; लेकिन सूरज निकलने तक जिमा करना गुनाह नहीं है, जिसने आपको यह मसला बताया है उसने सही नहीं बतलाया ।
(2) अगर कमरा छोटा हो और कोई बच्चा भी वहाँ मौजूद ना हो तो बर्हना (नंगे होकर) भी जिमा कर सकते हैं; लेकिन जिमा का यह तरीक़ा मुनासिब नहीं है, जिमा के वक़्त बेहतर है कि ज़रूरत के बक़द्र ही सतर को खोला जाए और जानवरों की तरह बिल्कुल नंगा होकर जिमा करने से बचा जाए।
ويجرد زوجته للجماع إذا كان البيت صغيرا مقدار خمسة أذرع أو عشرة قال مجد الأئمة الترجماني وركن الصباغي والحافظ السائلي لا بأس بأن يتجردا في البيت، كذا في القنية. [الفتاوى الهندية 5/ 328] ونظره إلى فرجها ونظرها إلى فرجه مباح. وعن ابن عمر - رضي الله عنه - أن النظر أبلغ في تحصيل اللذة، وقيل الأولى أن لا ينظر لأنه يورث النسيان، وقال - عليه الصلاة والسلام -: «إذا أتى أحدكم أهله فليستتر ما استطاع ولا يتجردان تجرد العير». (الاختيار لتعليل المختار١٥٥/٤)Darul Ifta,
Darul Uloom Deoband, India