Faiths & Beliefs >> Islamic Beliefs
Question ID: 400158Country: India
Answer ID: 400158Posted on: 02-Feb-2021
Fatwa ID: 482-398/L=06/1442
1) घर या दुकान के उद्घाटन के मौक़े पर अगर बरकत की निय्यत से क़ुरआन पढ़ा जाए तो इस में हरज नहीं; लेकिन इसको लाज़िम समझना, या दुसरी गैर ज़रूरी चीज़ों को लाज़िम कर लेना सही नहीं, इन बातों से परहेज़ ज़रूरी है ।
2) मन्नत के बाद खाने से मुराद अगर क़ुरआन पढ़ने के बाद खाना या रक़म वुसूल करना है तो ऐसा करना दुरुस्त नहीं ।
क़ुरआन की तिलावत तो रोज़ाना ही करनी चाहिए इसको दिन के साथ मह़दूद (सीमित) ना करना चाहिए; लेकिन अगर किसी के घर में आसेबी असरात वगैरह हों और कोई मुतदय्यिन आमिल अपने तजरबा की रोशनी में यह कहे कि सूरह बक़रह की चालीस दिन की तिलावत से असरात का इज़ाला हो सकता है तो इलाज और रुक़या के तौर पर चालीस दिन तक सूरह बक़रह के पढ़ने की गुंजाइश होगी ।Darul Ifta,
Darul Uloom Deoband, India